अपनी नज़रों में गिरके तुमने कुछ हासिल किया भी तो क्या फायदा उसका ,क्योंकि जो अपनी इज़्ज़त नहीं कर सकता उसकी कोई इज़्ज़त नहीं करेगा। Hindi Shayari/Hindi Poetry जो बताती है की हम क्या हैं, इसका शीर्षक है Apni Izzat Karte Hain और इसे Deepak Pandey 'Alfaaz' नें लिखा है।
अपनी इज्जत भी करते हैं
इश्क करते हैं बेहिसाब करते हैं ,
पर अपनी इज्जत भी करते हैं ;
जब तुम बात करते थे ,
तो खुद से मुलाकात कम होती थी ;
तुमने दरवाज़े बंद कर लिये ,
तो खूब मुकालात करते हैं ;
वक्त तुम्हारी आस में ,
अब दम तोड़ चुका है ;
हर बार तुमसे हम ,
नाकाम इज़हार करते हैं ;
जिस्म की चाहत होती ,
तो हासिल कर ही लेते हम ;
रूह में डूबे तभी तो ,
पागलपन लिखते हैं ;
तुम इल्जा़म लगाते जाओ ,
हम सर आंखों पर रख लेते हैं ;
तुम्हारी आवाज़ और अपनी ख़ामोशी को ,
ख़ामोशी से दरकिनार करते हैं ;
मिजाज़ के लिए मौसम और गिरगिट ,
बस यूं ही बदनाम हैं ;
हर रोज आइने में हम ,
चेहरा देख लिया करते हैं;