अक्सर कुछ छिपाने के लिए, कुछ और दिखाना पड़ता है। कुछ पुराना भूलना पड़ता है, कुछ और नया अपनाना पड़ता है। Hindi Shayari/Hindi Poetry - Aur Phir (और फ़िर) जिसमें कहा कुछ और है, पर उसके मायने कुछ और हैं। Deepak Pandey 'Alfaaz' नें अपनी रचना Aur Phir के माध्यम से बहुत कुक्स कहने की कोशिश की है।
और फिर
Aur Phir By Deepak Pandey Alfaaz |
आंखों पर चश्मा कर लेता हूँ,
लबों पर मुस्कान रख लेता हूँ,
मेरे बाल तुझे बहुत पसंद रहे है,
उन्हें टोपी से ढक लेता हूँ,
और फिर... और फिर...
साथ छोड़ती ज़बान,
भीगे अल्फ़ाज़ और काँपते जिस्म से,
तेरे और मेरे किस्से का हंसी लम्हा,
कुछ सुनने वालों को सुना देता हूँ,
और फिर... और फिर...
कुछ तारीफें मिलती हैं,
कुछ कमियां मिलती हैं,
अपनी इसी दौलत को झोले में समेटकर,
मैं आगे कदम बढ़ा लेता हूँ,