इश्क़ हम करते रहे, बस इज़हार में झिझक गए और हक़ीक़त कुछ और हो गई। Depak Pandey 'Alfaaz' के अल्फ़ाज़ों में अनकही बात Mera Khwab (मेरा ख़्वाब) Hindi Shayari/Poetry के रूप में।
मेरा ख़्वाब
Mera Khwab By Deepak Pandey Alfaaz |
उसकी आँखों की गहराइयों में,
मैं उतरता चला गया,
उसकी हर एक बात पर,
मैं यकीन करता चला गया,
जज़्बात-ए-इश्क़ बयां करना चाहा,
पर कर ना सका,
और मेरा ख़्वाब,
किसी और के लिए हक़ीक़त बनता चला गया,