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Wednesday, May 26, 2021

Talaash

एक मुक़ाम को पाने का सफर चलता रहता है, एक ऐसी ही तलाश (Talaash) Hindi Poetry/Hindi Shayari के रूप में Deepak Pandey 'Alfaaz' के शब्दों में। 

तलाश

Talaash By Deepak Pandey Alfaaz,Talaash poetry By Deepak Pandey Alfaaz
Talaash By Deepak Pandey Alfaaz
देखता हूँ जब मैं खुद को आईने में,
बस तेरा ही अक्स नजर आता है,
सोचता हूँ कैद कर लूँ ,
तुझे मैं अपनी इन निगाहों में,
पर तू रेत की तरह,
हाथ से फिसल जाता है,

कभी मेरा भी वजूद था इस जहाँ में,
अब तो हर जगह वीराना नजर आता है,
रोशनी की तलाश में,
मैं भटकता रहा इधर उधर,
शमा जलती है सारी रात,
और अंधियारा बढ़ता जाता है,