Shayari. Kavita. Thoughts. Feelings.

Friday, April 10, 2020

Humdard

चेहरा भले नक़ाब में क़ैद हो, इश्क़ को कौन रोक सकता है। एकतरफ़ा इश्क़ को Hindi Shayari/Hindi Poetry - Humdard (हमदर्द) में पिरोया है Deepak Pandey 'Alfaaz' नें। 

हमदर्द 

Hindi Shayari/Hindi Poetry - Humdard,Hindi Shayari/Hindi Poetry - Humdard By Deepak Pandey Alfaaz
Humdard By Deepak Pandey Alfaaz
नकाब से झांकती उसकी नजरों ने,
हमें बेहाल कर दिया,
दीदार-ए-हुस्न की चाहत ने,
हमारी रातों को बेकरार कर दिया,
उसकी नजरों की सच्चाई देखकर,
लगा ऐसे,
जैसे पल भर में मैं,
कई सदियां जी गया,

जब भी सुनता हूं मैं तेरे नाम को,
खुद बेनाम हो जाता हूं,
तेरे करीब आने का,
मैं तलबगार हो जाता हूं,
वफा कर रही हैं तेरा पता बता कर ये हवाएँ,
मेरा ना होकर भी,
तू मेरा हो गया,

पास बैठे तू आके जब भी मेरे,
तेरे जिस्म की खुशबू मेरी रूह में उतर गई,
तुझमें फना होने की ख्वाहिश,
बढ़ती गई,
लग जाती है लोगों को सारी उम्र,
हमसफर बनाने में,
अपनी इश्क-ए-कशिश के कारण,
तू मेरा हमदर्द बनता गया,

सागर भी मेरी प्यास,
बुझा नहीं सकता,
आईना हमेशा सच,
दिखा नहीं सकता,
खुदा ने बख़्शा है तुझे,
मेरी दुआओं के बदले,
पाके तुझे मैं,
खुद को पा गया,