Wednesday, May 26, 2021
Dost
May 26, 2021
एक दोस्त ही तो है, जो हमें हमसे मिलाता है। Deepak Pandey 'Alfaaz' के शब्दों में एक दोस्त के नाम Hindi Poetry/Hindi Shayari - Dost (दोस्त)।
दोस्त
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Dost By Deepak Pandey Alfaaz |
वो हमें देखकर मुस्कुराने लगे,
जाने क्या बात थी जो छुपाने लगे,
आंखों ही आंखों में वो कुछ कह गए,
हम भी नादान थे उन्हें ही देखते रह गए,
बाद जाने के उनके,
कुछ शोर सा मालूम हुआ,
दोस्त हमें आशिक कह कर बुलाने लगे,
फिर उनसे एक दिन वही मुलाकात हो गई,
देखते ही आंखें उनकी,
डर और मायूसी से भर गई,
माथे का सिंदूर दिखाकर कहने लगे,
हम तो किसी और के हो गए,
इतने में कुछ शोर हुआ,
मैं दोस्तों के बीच खड़ा मिला,
दूसरी तरफ इशारा करके कहने लगे,
जो चला गया उसे जाने दे,
दिल का दरवाजा खोल,
फिर किसी को आने दे,
बाद कुछ देर के,
नकाब में एक और नजर आने लगे,
हमें देखते ही,
रुख से पर्दा हटाने लगे,
हम भी सब कुछ भूल कर,
उनसे नजरें मिलाने लगे,
Khat
May 26, 2021
अचानक एक ख़त मिला और किसी और दुनिया से कुछ देर के लिए वास्ता ख़त्म हो गया। Hindi Poetry/Hindi Shayari- खत (Khat), Deepak Pandey 'Alfaaaz' के एहसासों से।
ख़त
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Khat By Deepak Pandey Alfaaz |
आज मेरे नाम,
एक ख़त आया,
साथ आंखों में,
सपने हजार भर लाया,
खोल कर देखा,
जब मैंने उसको,
थमा हुआ कोई तूफान,
जिंदगी में आया,
पहलू में बैठकर,
जिया करते थे जिसके हम,
पैग़ाम -ए- इश्क उसका,
मेरे नाम आया,
भरी महफिल में,
हमें कर दिया जिसने रुसवा,
आज क्यों उसे हम पर,
इतना प्यार आया,
आगे पढ़ा तो जाना,
के शायद किसी ने दिल तोड़ा उसका,
और याद मेरे प्यार का,
एहसास आया,
Talaash
May 26, 2021
एक मुक़ाम को पाने का सफर चलता रहता है, एक ऐसी ही तलाश (Talaash) Hindi Poetry/Hindi Shayari के रूप में Deepak Pandey 'Alfaaz' के शब्दों में।
तलाश
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Talaash By Deepak Pandey Alfaaz |
देखता हूँ जब मैं खुद को आईने में,
बस तेरा ही अक्स नजर आता है,
सोचता हूँ कैद कर लूँ ,
तुझे मैं अपनी इन निगाहों में,
पर तू रेत की तरह,
हाथ से फिसल जाता है,
कभी मेरा भी वजूद था इस जहाँ में,
अब तो हर जगह वीराना नजर आता है,
रोशनी की तलाश में,
मैं भटकता रहा इधर उधर,
शमा जलती है सारी रात,
और अंधियारा बढ़ता जाता है,
Ankahe Jajbaat Ep-3
May 26, 2021
कुछ जज़्बात, शब्द ही समझा और कह सकते हैं। ऐसे जज़्बातों को Hindi Shayari/Hindi Poetry के शीर्षक Ankahe Jajbaat Ep-3 में पिरोया है Deepak Pandey 'Alfaaz' नें ।
Ankahe Jajbaat Ep-3
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Ankahe Jajbaat Ep-3 By Deepak Pandey Alfaaz |
(1) जिन्दगी में मैंने एक गलती कर दी,
आपनी तक़दीर में जगह दे दी,
भरे बाजार उसने,
रुसवा कर दिया मेरी मोहब्बत को,
और बदले में मैंने नाम उसके,
अपनी हर खुशी हर दुआ कर दी,
(2) जिंदगी से यूँ,
खफा ना हो ऐ हमनवा,
जिंदगी तो हर बार,
इम्तिहान लेती है,
थोड़ा सब्र और खुद पे,
यकीन रख तू,
फिर देख जिंदगी से जीतने में,
कितना मजा आता है,
(3) ये वक्त और यह मौसम गुजरते गए,
हम यूं ही इन ग़ुमनाम राहों पे चलते गए,
हम तो उनका इंतजार करते रहे ताउम्र,
और वह किसी और की जिंदगी को गुलजार करते रहे,
(4) मुझे मुट्ठी में कैद करना,
तेरे बस की बात नहीं,
मैं तो वो जलता हुआ दीपक हूँ,
के जिधर जाऊं,
रोशन फ़िजा हो जाए,
(5) आज फिर तुझपे प्यार आया है,
तेरे हर वादे पे ऐतबार आया है,
तेरी मोहब्बत का सिला,
कुछ यूँ मिला मुझे,
न जाने कितने दफे टूट कर बिखरा हूँ मैं,
न जाने कितना दर्द पाया है,
Tum Yaad Aaye Ho
May 26, 2021
तुम्हें ना चाहते हुए भी याद कर लिया और Hindi Poetry/Hindi Shayari - Tum Yaad Aaye Ho (तुम याद आये हो) का रूप Deepak Pandey 'Alfaaz' ने दे दिया।
तुम याद आये हो
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Tum Yaad Aaye Ho By Deepak Pandey Alfaaz |
जिंदगी ये मुकम्मल हो गई,
दूर आंखों की सारी नमी हो गई,
तुम याद आए हो,
बहुत याद आए हो,
दर्द -ए- दिल आंखों से छलकने लगा है,
दूर रहकर भी तू पास रहने लगा है,
तू है मुझमें कुछ इस तरह,
जैसे धड़कन में सांसे रवां हैं,
तू जब भी ख्वाबों में आता है,
जाने क्या दिल सुकून पाता है,
ये मेरी नजरों का है सब कसूर,
हर जगह बस तेरा ही चेहरा नजर आता है,
दीवानगी तेरी मुझ पर छाई है,
तू नहीं तेरी याद आई है,
मैं तुझे अपना समझता रहा,
और तू चीज पराई है,
Saturday, May 22, 2021
Tera Chup Rahna Mere Zehan Mein
May 22, 2021
मोहब्बत की एक अनोखी दास्तान, Tera Chup Rahna Mere Zehan Mein (तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में) नज़रों में तहज़ीब हाफ़ी (Tahzeeb Hafi) के।
तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन
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Tera Chup Rahna Mere Zehan Mein By Tahzeeb Hafi |
तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में,
क्या बैठ गया,
इतनी आवाज़ें तुझे दीं,
कि गला बैठ गया,
यूँ नहीं है कि फ़क़त,
मैं ही उसे चाहता हूँ,
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया,
बैठ गया,
इतना मीठा था वो,
ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ,
उसने जिस को भी जाने का कहा,
बैठ गया,
अपना लड़ना भी मोहब्बत है,
तुम्हें इल्म नहीं
चीख़ती तुम रही और,
मेरा गला बैठ गया,
उसकी मर्ज़ी वो,
जिसे पास बिठा ले अपने
इस पे क्या लड़ना,
फलाँ मेरी जगह बैठ गया,
बात दरियाओं की सूरज की,
न तेरी है यहाँ,
दो क़दम जो भी मेरे साथ चला,
बैठ गया,
Meaning
फ़क़त - बस इतना ही
इल्म - जानकारी।
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