मोहब्बत की एक अनोखी दास्तान, Tera Chup Rahna Mere Zehan Mein (तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में) नज़रों में तहज़ीब हाफ़ी (Tahzeeb Hafi) के।
तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन
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Tera Chup Rahna Mere Zehan Mein By Tahzeeb Hafi |
तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में,
क्या बैठ गया,
इतनी आवाज़ें तुझे दीं,
कि गला बैठ गया,
यूँ नहीं है कि फ़क़त,
मैं ही उसे चाहता हूँ,
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया,
बैठ गया,
इतना मीठा था वो,
ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ,
उसने जिस को भी जाने का कहा,
बैठ गया,
अपना लड़ना भी मोहब्बत है,
तुम्हें इल्म नहीं
चीख़ती तुम रही और,
मेरा गला बैठ गया,
उसकी मर्ज़ी वो,
जिसे पास बिठा ले अपने
इस पे क्या लड़ना,
फलाँ मेरी जगह बैठ गया,
बात दरियाओं की सूरज की,
न तेरी है यहाँ,
दो क़दम जो भी मेरे साथ चला,
बैठ गया,
Meaning
फ़क़त - बस इतना ही
इल्म - जानकारी।