एक मुक़ाम को पाने का सफर चलता रहता है, एक ऐसी ही तलाश (Talaash) Hindi Poetry/Hindi Shayari के रूप में Deepak Pandey 'Alfaaz' के शब्दों में।
तलाश
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Talaash By Deepak Pandey Alfaaz |
देखता हूँ जब मैं खुद को आईने में,
बस तेरा ही अक्स नजर आता है,
सोचता हूँ कैद कर लूँ ,
तुझे मैं अपनी इन निगाहों में,
पर तू रेत की तरह,
हाथ से फिसल जाता है,
कभी मेरा भी वजूद था इस जहाँ में,
अब तो हर जगह वीराना नजर आता है,
रोशनी की तलाश में,
मैं भटकता रहा इधर उधर,
शमा जलती है सारी रात,
और अंधियारा बढ़ता जाता है,